भागवत कथा में पांचवें दिन श्री कृष्ण जन्म एवंम बाल लीलाओं का हुआ वर्णन*
औरैया : क्षेत्र के मलिकपुर रोड रूरुकला में बाल लीलाओं का श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन सोमवार को हुई भगवान श्रीकृष्ण के जन्म एवम् बाल लीलाओं का वर्णन किया गया। इस मौके पर आचार्य पुनीत मिश्रा जी ने संगीतमय कथा वाचन करते हुए भगवान की बाल लीलाओं के चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने श्रोताओं से कहा कि लीला और क्रिया में अंतर होता है। अभिमान तथा सुखी रहने की इच्छा प्रक्रिया कहलाती है। इसे ना तो कर्तव्य का अभिमान है और ना ही सुखी रहने की इच्छा, बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं। उन्होंने कहा कि माखन चोरी करने का आशय मन की चोरी से है। कन्हैया ने भक्तों के मन की चोरी की। उन्होंने तमाम बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए उपस्थित श्रोताओं को वात्सल्य प्रेम में सराबोर कर दिया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के जन्म लेने पर कंस उनकी मृत्यु के लिए राज्य की सबसे बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है। राक्षसी पूतना भेष बदलकर भगवान कृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है, परंतु भगवान उसका वध कर देते हैं। इसी प्रकार कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन कार्यक्रम की तैयारी करते हैं, परंतु भगवान कृष्ण उनको इंद्र की पूजा करने से मना कर देते हैं और गोवर्धन की पूजा करने के लिए कहते हैं। यह बात सुनकर भगवान इंद्र नाराज हो जाते हैं और गोकुल को बहाने के लिए भारी वर्षा करते हैं। इसे देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देखकर भगवान कृष्ण कनिष्ठ अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी लोगों को उसके नीचे छिपा लेते हैं। भगवान द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर लोगों को बचाने के साथ ही इंद्र का घमंड चकनाचूर हो गया। इस मौके पर मुख्य यजमान कृष्णचंद्र शुक्ला, धर्मेन्द्र कुमार शुक्ला, कुलदीप मिश्रा, सर्वेश शुक्ला, कुलदीप पोरवाल सहित दर्जनों श्रद्धालु मौजूद रहे।