कुर्बानी सुन्नत ए इब्राहीमी के साथ-साथ सुन्नत ए मुहम्मदी भी है*
खुले में न करें कुर्बानी, सरकार के नियमों का करें पालन।
मुस्लिम समुदाय से अपील-जानवरों की कुर्बानी का वीडियो न बनाएं और न ही सोशल मीडिया पर डालें l
17जून सोमवार को मनाया जाएगा ईदुल अजहा (बकरीद )का त्यौहार l ईदगाह मे सुबह 6,30पर और आस्ताना आलिया पर सुबह 7,30 पर अदा की जायेगी नमाज l
फफूंद l औरैया
शुक्रवार को सज्जादा नशीँ आस्ताना आलिया फफूँद सय्यद अख्तर मियां चिश्ती ने प्रेस वार्ता में कहा कि कुर्बानी इस्लाम की निशानी और सुन्नत ए इब्राहीमी होने के साथ साथ सुन्नत ए मुहम्मदी भी है। इसीलिए ये कुर्बानी अल्लाह तआला के यहां बहुत महत्व रखती है।
इस वर्ष 17 जून को ईदुल अजहा (बकरा ईद ) का त्यौहार मनाया जाएगा, ईदगाह मे सुबह 6,30 पर और आस्ताना आलिया पर सुबह 7,30 पर ईदुल अजहा की नमाज अदा होगी,तीन दिन सोमवार, मंगलवार, बुधवार ईदुल अजहा का त्यौहार मनाया जाता है इसलिए तीनो दिन कुरवानियाँ होती है l कुर्बानी के दिनों में प्रसन्नता पूर्वक कुर्बानी करने और कुर्बानी के लिए रुपए खर्च करने से ज़्यादा कोई भी चीज अल्लाह तआला के यहां प्रिय और पसंद नहीं, कुर्बानी क़यामत के दिन नरक में जाने से बचाएगी उन्होंने कहा कि कुरबानी का जानवर क़यामत के दिन अपने बाल, सींगों और खुरों के साथ आकर पुल सिरात को पार कराने में सहायता करेगा। इतना ही नहीं कुर्बानी के जानवर के हर बाल के बदले नेकी लिखी जाती है इस लिए हर उस शख्स (स्त्री व पुरुष) पर जो मुसलमान, मुकीम (स्थाई निवासी), बालिग, आज़ाद होने के साथ -साथ मालिक ए निसाब भी हो अर्थात जिसके पास 612 ग्राम चांदी,87.48 ग्राम सोना या जो ज़रुरत के अलावा किसी ऐसी चीज का मालिक हो जिस की कीमत 612 ग्राम चांदी की कीमत (लगभग 32000 रुपए) के बराबर हो जाए उस पर कुर्बानी वाजिब है।
उन्होंने बताया कि अगर ऐसा शख्स कुर्बानी नहीं करता तो हदीस में ऐसे शख्स के लिए कहा गया है कि वोह ईदगाह के करीब न आए(अर्थात ईद की खुशियां न मनाये)। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि हर उस शख्स को इस इबादत को अदा करना चाहिए जिसमें यह शर्तें पाई जाती हों ताकि वह अल्लाह व रसूल की नाराज़गी से बचते हुए उन की रजामंदी हासिल करे।
सज्जादा नशीँ सय्यद अख्तर मियां चिश्ती ने कहा कि सरकार ने कुर्बानी और ईदुल अजहा से संबंधित जो गाइड लाइन जारी की है उस का पालन करें और साथ ही कोई भी ऐसा काम न करें जिस से देश वासियों को किसी भी प्रकार की पीड़ा और ठेस पहुंचे, अंत में उन्होंने कहा कि सड़कों,आम रास्तों और मैदानों में कुर्बानी न करें बल्कि आड़ वाली जगह या चहारदीवारी में करें, भीड़ भाड़ इकट्ठा ना होने दें व सामूहिक कुर्बानी न करें, जानवर कुर्बानी करने के तुरंत बाद उसके मलवे को बस्ती से दूर किसी उचित स्थान पर गड्ढा खोद कर दफन कर दें, और कुर्बानी वाली जगह की तुरंत साफ सफाई कराएं, इस बात का मुख्य खयाल रखें कि कुर्बानी से संबंधित कोई भी फोटो और वीडियो बिल्कुल न बनाएं और सोशल मीडिया पर अपलोड न करे । उन्होंने कहा कि तमाम मुसलमानों को इन बातों पर ज़रूर अमल करना चाहिए l