भागवत कथा के दौरान धूमधाम से मनाया गया कृष्ण जन्मोत्सव*
*अजीतमल,औरैया।* जब-जब धरती पर अनीति अत्याचार अधर्म का साम्राज्य बढ़ता है तब-तब भगवान स्वयं प्रलयकारी रूप धारण कर श्रृष्टि का उलटफेर किया करते है एवं जन्म लेकर धर्म और सनातन संस्कृति के उत्थान की दिशा में पुन: श्रृष्टि का निर्माण करते है। उक्त अमृत वचन मलगवा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथा व्यास शिव कांत तिवारी के द्वारा श्री कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर व्यक्त किये गये। .इस मौके पर कथा व्यास ने स्पष्ट किया कि स्वयं भगवान जब अवतरित हो रहे थे तब उनके स्वयं माता पिता को कारागाह में कितनी यातनाएं दी गई, लेकिन प्रभु की शक्ति की एक अलग लीला है। विपत्तियां कितनी ही बड़ी क्यों न आ जायें कभी घबराना नहीं चाहिए। केवल परम सत्ता ईश्वर के श्रीचरणों में ही अपना ध्यान रखना चाहिए और सब कुछ उन्हीं पर आश्रित कर देना चाहिए। जब हम ईश्वर के अधीन आश्रित हो जाते है, तो हमारे संपूर्ण संतापों का हरण वह स्वयं कर लेते है। जब मनुष्य का अच्छा समय होता है तो उसे निश्चित तौर पर अच्छे काम करना चाहिए और इस समय का सदुपयोग करते हुए लोगों की भलाई के साथ पीडि़त वर्ग की सेवा में समय देना चाहिए। कथा व्यास ने बताया कि भगवान बांके विहारी ने जो लीलाएं की है, उसके पीछे उनका एक अलग उद्देश्य रहा है और प्रत्येक लीला में मानव समाज को उन्होंने एक संदेश भी दिया है। प्रवचनों के दौरान भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव भी समारोहपूर्वक मनाया गया। इसदौरान उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा मंगलगान गाये गये। महिलाओं ने नृत्य किये और बालस्वरूप भगवान बांके विहारी का पूजन अर्चन किया। आयोजन में सावित्री चौहान, शिवेंद्र सेंगर , हरबिंद्र सिंह, ओमकार सिंह, देवेंद्र चौहान अरविंद सिंह, मेहरवान सिंह, धीर सिंह, विपिन आदि का सराहनीय सहयोग रहा।