दोषपूर्ण बीज सप्लाई करने वाली कंपनी पर आठ लाख का जुर्माना*
*उपभोक्ता फोरम में दायर परिवाद पर निर्णय*
*खराब बीज से शिमला मिर्च की फसल हुई थी प्रभावित*
*औरैया।* जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने शिमला मिर्च की पैदावार करने वाले एक कृषक की ओर से दायर परिवाद को स्वीकारते हुए दोषपूर्ण बीज सप्लाई करने के दोषी सिजेंटा कंपनी को सात लाख 98 हजार 880 रुपये क्षतिपूर्ति परिवादी को करने का आदेश जारी किया है। इसके अतिरिक्त उसे 25 हजार रुपये वाद व्यय व मानसिक कष्ट पहुंचाने पर अदा करने काे भी कहा है।
शहर के सत्तेश्वर मोहल्ला निवासी किसान मंजुल कुमार शुक्ल ने एक परिवाद उपभोक्ता फोरम में दायर किया। उनका कहना है कि उसकी कृषि भूमि गांव कलेनापुर पोस्ट रसधान कानपुर देहात में स्थित है। वह अपनी दो एकड़ की इस कृषि भूमि पर प्रतिवर्ष शिमला मिर्च की खेती फसल चक्र के आधार पर करते हैं। वादी के अधिवक्ता संजीव पांडेय एडवोकेट ने बताया कि 16 अगस्त 2022 को परिवादी ने किसान एग्रो एजेंसी तिलक मार्केट औरैया से सिजेंटा कंपनी के शिमला मिर्च बीज के 25 पैकेट क्रय किए। उसे यह बीच यह कहकर बेचा गया कि यह बीज उन्नत किस्म का है। तथा जिसके समर्थन में सिजेंटा कंपनी की इंद्रा प्रजाति के के बीच के विज्ञापन को दिखाकर लुभा लिया गया। उसने इस बीच से नियमानुसार शिमला मिर्च की खेती की। लेकिन दोषपूर्ण बीच के कारण पौधों एवं मिर्च की गुणवत्ता अच्छी नहीं हुई। जबकि इसके पहले उसे शिमला की फसल से सात लाख की आय हुई थी। परिवादी ने आरोप लगाया कि सिजेंटा कंपनी द्वारा निर्मित इंद्रा प्रजाति का शिमला मिर्च का अधोमानक बीच किसान एग्रो एजेंसी को विक्रय किया गया है। परिवादी ने कंपनी के एरिया मैनेजर व तकनीकी सहायक से भूमि का स्थलीय निरीक्षण के लिए कहा, लेकिन उन्होंने निरीक्षण नहीं किया। फसल चौपट हो जाने पर किसान मंजुल कुमार शुक्ला ने जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया। कंपनी की ओर से बचाव में कहा गया कि खेती में नियमाें का पालन नहीं हुआ। दोनों पक्षकारों की बहस सुनने के बाद जिला उपभोक्ता फोरम विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष जगन्नाथ मिश्र ने परिवादी मंजुल कुमार शुक्ला का परिवाद स्वीकार कर लिया। तथा सिजेंटा इंडिया लिमिटेड पुणे महाराष्ट्र एवं लखनऊ कार्यालय को आदेशित किया कि वह परिवादी को सात लाख 98 हजार 880 रुपये का भुगतान बतौर क्षतिपूर्ति निर्ण की तिथि से 45 दिन के अंदर करने। तथा इस धनराशि पर प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की दिनांक से अदायगी की तिथि तक सात प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी अदा करने का आदेश दिया। फोरम ने आदेश में यह भी कहा कि यदि उपरोक्त धनराशि निर्धारित अवधि में अदा नहीं की जाती है तो ब्याज सात प्रतिशत के स्थान पर नौ प्रतिशत देय होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता महावीर शर्मा ने बताया कि आयोग ने परिवादी को 10 हजार वाद व्यय के व मानसिक कष्ट हेतु 15 हजार रुपये भी अदा करने के लिए आदेशित किया है। आयोग ने बीच विक्रय करने वाली किसान एग्रो एजेंसी की गलती न पाते हुए उसे जिम्मेदारी से मुक्त रखा है।