रुक्मणी विवाह के साथ भागवत कथा का विश्राम*
*दिबियापुर,औरैया।* स्थानीय कलक्टरी रोड स्थित कैलाश रिसोर्ट में गुरुवार को हो रहे श्रीमदभागवत कथा के सातवें एवं अंतिम दिन भागवताचार्य पण्डित पुनीत मिश्रा ने भगवान श्रीकृष्ण के एक हजार एक सौ सात विवाह की सुन्दर कथा का वर्णन किया। इससे पूर्व बुधवार शाम श्रीकृष्ण के साथ रुकमणी जी के विवाह की भी सुन्दर कथा हुई। भागवताचार्य ने भगवान कृष्ण के जीवन दर्शन के अनेकों प्रसंग सुनाते हुये कहा कि कर्म ही पूजा है। .मानव जीवन में कर्म ही प्रधान है। उन्होंने श्रद्धालु भक्तों को सीख देते हुये कहा कि सदाचारी और संस्कारी बनो। ऐसा कार्य न करें जिससे किसी दूसरे को कष्ट पहुंचे उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को मानने वाले लोग सेवा भावी हैं। देर शाम कथा विश्राम होने पर परीक्षित सुमन लता एवं विमल पोरवाल के साथ आयोजक अमित, संजीव, कमलेश , संजय एवं अंशू आदि ने भागवत पुराण की आरती कर पूजा अर्चना की। इस मौके पर ऋषि, वैभव , अश्वनी , उत्कर्ष , अभिनव एवं अर्जित आदि लोगों ने व्यवस्थाओंमें सहयोग किया। आयोजकों ने बताया कि 24 मई शुक्रवार को हवन पूर्णाहूति के साथ भण्डारा होगा उन्होंने सभी धर्मप्रेमियों से प्रसाद ग्रहण करने की अपील की है। उधर निकटस्थ गाँव उमरी में चल रही श्रीमद भागवत कथा के विश्राम पर गुरुवार को हवन पूर्णाहूति के बाद भण्डारा हुआ भण्डारे में देर रात तक श्रद्धालु भक्तो को प्रसाद वितरित किया गया। आयोजक अरुण शुक्ला, अश्वनी शुक्ला एडवोकेट, श्रीकृष्ण शुक्ला, साधना शुक्ला एवं गोपाल शुक्ला के अलावा राजा तिवारी, हरीओम बाजपेयी, वेदप्रकाश मिश्रा, मुखिया पाण्डेय, उमेश पोरवाल, राजू शर्मा एवं भोले सक्सेना ने व्यवस्थाओं में सहयोग दिया।