शिव की महिमा सुनने मात्र से प्राणी हो जाता है भाव सागर पार आचार्य महेश्वरानन्द जी महाराज*
फफूँद/औरैया
कस्बे के मुहल्ला तिवारियान स्थित यक्षेश्वर शिव धाम पर श्री मद् शिव महापुराण कथा एवं षष्टम विशाल शिव शक्ति महायक्ष के समारोह में भक्त कथा श्रवण करने लिए उमड़ रहे है। चित्रकूट धाम से पधारे आचार्य द्वारा भगवान शिव की महिमा सुनाई जा रही है।
नगर के यश्चेश्वर धाम में आयोजित नौ दिवसीय श्री मद् शिव महापुराण कथा एयं षष्टम विशाल शिव शक्ति महायक्ष के दूसरे दिन भक्त कथा श्रवण करने लिए उमड़ रहे है। चित्रकूट धाम से पधारे आचार्य महेश्वरानन्द सरस्वती महाराज ने शिव कथा सुनाते हुए कहाकि भगवान शिव की महिमा सुनने मात्र से प्राणी मोक्ष को प्राप्त करता है। शिव जी ऐसे देवता है जिनकी भक्ती करने वाले व्यक्ति के घर मे सुख समृद्वि कायम रहती है।भगवान शिव व्राम्हा और विष्णु के गुरु है बिना गुरू के ग्यान नही मिल सकता है। भगवान न पत्थर में है न लकड़ी में है और न मिटटी मे हैं भगवान आपके भाव में है जव भी किसी देवी देवता की पूजा करें इन . शिव लिग में शिव पार्वती का वास होता है और भगवान शिव और पार्वती का मुह पूर्व की ओर होता है शिवलिंग की पूजा करते समय भक्त को दक्षिण की तरफ बैठना चाहिए और मुहं उत्तर की तरफ होना चाहिए तव शिव की पूजा अर्चना करना चाहिए।साल में एक वार शिवरात्रि का दिन आता हैंजो व्यक्ति किसी देंवता की पूजा अर्चना न करता हो ऐसा व्यक्ति शिवरात्रि के दिन उपवास रखता है उसको एक साल की पूजा का फल मिलता है। एक वार भोले वावा तपस्या मे लीन थे उसी समय पार्वती ने अपने नर्त से शिव जी को जगाने का काफी प्रयास किया मगर असफल रही तो उन्होने नन्दी से भोले वावा को जगाने के लिए कहा मगर नन्दी भी असफल रहे।माता पार्वती ने गंगा मईया का आवाहन किया था। उन्होने र्कीर्तन के माघ्यम से जन मानस को जगाते हुए कहाकि मुझ राम तुम राम सवमे राम समाया हें सवसे कर लो पीत जगत में कोई नही पराया है सुबह की पहर मे यक्ष शाला पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ . वेदी जयकारो से नगर भक्तीमय हो गया। देर शांम राम कथा प्रवचन राम किशोर जी महाराज द्वारा सुनाई जा रही है परीक्षित श्री मती लक्ष्मी देवी अवस्थी ने बताया कि श्री शिव महापुराण कथा 19 अप्रैल.. से 27 अप्रैल को विश्वाम लेगी 28 अप्रेल को हवन पूजन के साथ भंडारे का आयोजन होगा।उन्होंने भक्तजनों से श्री शिव महापुराण कथा श्रवण करने की अपील की है।