November 19, 2024

धनुष भंग लीला का मंचन देखने के लिए सुबह तक लगी रही पंडाल में भीड़

फफूंद। औरैया
भाग्यनगर विकास खण्ड क्षेत्र के गांव दयालनगर में तीन दिवसीय रामलीला में शुक्रवार की रात्रि को धनुष भंग लीला का मंचन किया गया। इस दौरान लोगों ने जमकर भगवान श्रीराम के जयकारे लगाए। परशुराम और लक्ष्मण के बीच हुए विद्वता पूर्ण संवाद को सुन दर्शक रोमांचित हो उठे।

धनुष भंग लीला का शुभारंभ सन्तोष कठेरिया ने भगवान श्रीराम की आरती करके किया जिसके वाद में मंचन में राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता का विवाह करने के लिए स्वयंवर का आयोजन किया, जिसमें आए कई देश के राजाओं के धनुष न उठा पाने से वह निराश हो गए और राजाओं से कहा तजहुं आसनिज निज गृह जाऊं लिखा न बिधि बैदेही विवाहू कहकर निराशा के भाव व्यक्त कर दिए। राजा जनक के शब्द सुन लक्ष्मण जी उत्तेजित हो जाते हैं, जिन्हें श्रीराम ने शांत करते हुए कहा कि लखन तुम शांत हो बैठो। विश्वामित्र की आज्ञा पाकर श्री राम ने धनुष का खंडन कर दिया। धनुष टूटने पर हुई घनघोर गर्जना सुन महिद्राचल पर तपस्या में लीन महर्षि परशुराम की तंद्रा भंग हो गई। श्री राम जी परशुराम को शांत करने का प्रयास करते हैं, लेकिन उनके शांत ना होने पर लक्ष्मण जी कहते हैं बहु धनुहीं तौरीं लरिकाई कबहु न अस रिस कीन्ह गोसाई। ऐहि धनु पर ममता केहि हेतू। लक्ष्मण के शब्द सुनकर परशुराम का क्रोध अधिक बढ़ जाता है और वह लक्ष्मण को मारने के लिए दौड़ते हैं। श्रीराम व लक्ष्मण के स्वभाव को देख परशुराम जी विस्मय में पड़ जाते हैं और वह श्री विष्णु भगवान के दिया गया सारंग धनुष श्री राम को देते हुए उसकी प्रत्यंचा चढ़ाने को कहते हैं। इस मौके पर सौरभ यादव,प्रबल शर्मा,राम चन्द्र बाथम,सेवाराम गौतम,अमित कुमार उर्फ मोनू,शहीद अली उर्फ मुन्नू, टीटू, सोनू, अमन कुमार मौजूद रहे।

रिपोर्ट उप संपादक विमल पाण्डेय टीबी इंडिया 18

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