बायोडीजल के उपयोग से रोका जा सकता है प्रदूषण*
*बायोडीजल के उपयोग से रोका जा सकता है प्रदूषण*
*राष्ट्रीय सेमिनार में आखरी दिन विद्वानों ने प्रस्तुत किए शोध पत्र*
*औरैया।* तिलक महाविद्यालय में चल रहे राष्ट्रीय सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक डॉक्टर राजकुमार द्वारा सेमिनार के विषय पर वक्तव्य देते हुए कहा कि बायोडीजल के उपयोग से ही पर्यावरण में सुधार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पैट्रोलियम इंडस्ट्री द्वारा 54 प्रतिशत गैस वायुमंडल में छोड़ी जाती हैं। जिससे पर्यावरण की बहुत हानि होती है।उन्होंने विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि विभाग द्वारा बायोडीजल बायो जेट जैसे पेट्रोलियम पदार्थ तैयार किया जा रहे हैं। जिससे वातावरण में हानिकारक गैसों का प्रभाव कम हो सके। वही पैट्रोलियम इंडस्ट्री में भी इसका उपयाेग किया जा रहा है।
भारतीय पेट्रोलियम संस्थान लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है। दूसरे दिन के कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ रवि कुमार ने करते हुए कहा कि यह सेमिनार जिस विषय पर आयोजित किया जा रहा है। बाहर से आए वैज्ञानिक व शिक्षाविद द्वारा अपने शोध पत्र में बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की जा रही है। मुल्तानी मोदी कॉलेज मोदीनगर के प्रोफेसर डॉ योगेंद्र सक्सेना ने ग्लोबल वार्मिंग व क्लाइमेट चेंज पर अपना पेपर प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्तमान में दलहन फसलों पर टेंपरेचर का प्रभाव अत्यधिक दिखाई देता है। कई दलहन फसले ऐसी हैं जो 45 डिग्री सेल्सियस पर भी अच्छी तरह कार्य करती हैं। हमें उनका उत्पादन करना चाहिए जिससे अच्छी उपज प्राप्त हो सके। उन्होंने टेंपरेचर के प्रभाव के बारे में विस्तार से अपनी प्रस्तुति दी। महाविद्यालय के एमए जियोग्राफी के छात्र मृदुल प्रजापति ने ई बेस्ट पर अपना पेपर प्रस्तुत किया उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में ई बेस्ट समस्या बना हुआ है।वातावरण में प्रदूषण को लेकर हम सभी को कायॆ करेंगे तब अच्छा प्रभाव पड़ेगा। वही सोशल मीडिया के माध्यम से भी जागरूकता लाकर इस पर प्रभावी अंकुश किया जा सकता। दूसरे दिन की अध्यक्षता कर रहे मुल्तानी मोदी महाविद्यालय मोदीनगर के प्रोफेसर डॉक्टर अरुण कुमार मौर्य ने वर्तमान विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें इस पर कार्य करना है तभी अच्छा परिणाम प्राप्त होगा। दूसरे दिन सेमिनार में एक दर्जन से अधिक शिक्षकों द्वारा शोध पऋ प्रस्तुत किए गए। इस मौके पर आईक्यूएसी के समनयक डॉक्टर सियाराम, संयोजक पीवी सिह, आयोजन सचिव डॉ अमित कुमार सिंह, डॉक्टर प्रीति वाधवानी, डॉक्टर अल्केश गुप्ता, डॉक्टर अरविंद सिंह, डॉक्टर गौरव अग्रवाल, डॉक्टर सुयश शुक्ला, डॉ अनुपम बिरला, डॉक्टर अनुपमा वर्मा, डॉ अनीता परिहार सहित अन्य लोगों ने योगदान दिया।अंत में प्रदूषण को कम करने के उपायों पर विभिन्न सुझाव के बाद सेमिनार का अंत हुआ।