दिल्ली पब्लिक स्कूल में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय सर्पदंश जागरूकता दिवस
झाड फूँक से जाये जान, एंटीवेनम ही बचाये प्रान- सर्पमित्र डॉ आशीष त्रिपाठी
इटावा। आजकल हमारे आसपास दिखाई देने वाले विषधारी सर्प कोबरा, करैत जिसका नाम सुनकर ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते है दहशत फैल जाती है वहीं कुछ लोग सर्प को देखते ही बेहोश भी हो जाते है । उन्हीं जहरीले सर्पों की सरलता से पहचान करने के साथ पीड़ित को सर्पदंश के बाद का सही उपचार प्रदान करने के उद्देश्य से संस्था ओशन द्वारा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अथिति की भूमिका में पधारे मिशन स्नेक बाइट डेथ फ्री इंडिया के यूपी कोर्डिनेटर, वन्यजीव विशेषज्ञ ब्रांड एम्बेसडर नगर पालिका परिषद,इटावा सर्पमित्र डॉ आशीष त्रिपाठी ने अंतरराष्ट्रीय सर्पदंश जागरूकता दिवस के अवसर पर (स्कूल सेफ्टी एवं स्कूल डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोग्राम) के तहत स्कूल के कई सैकड़ा शिक्षक शिक्षिकाओ के समक्ष सर्पदंश से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रोजेक्टर के माध्यम से साझा करते हुये बताया कि,सम्पूर्ण भारत वर्ष मे पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के सर्पों की प्रजातियों में से कुछ को ही छोड़कर सभी सर्प जहरीले ही नही होते है। वैसे तो भारत के विभिन्न राज्यों में कई प्रकार के विषधारी व विषहीन सर्प पाये जाते है लेकिन,सम्पूर्ण भारत मे केवल बिग फोर प्रजाति के सदस्य ही ज्यादा खतरनाक माने जाते है जिनमे प्रमुख रूप से कोबरा,करैत (न्यूरोटॉक्सिक वेनम),रसल वाइपर,सॉ स्केल वाइपर (हीमोटोक्सिक वेनम) के साथ पाये जाते है। अक्सर इन चार सर्पों से ही हमे ज्यादा खतरा होता है । रसल वाइपर,सॉ स्केल वाइपर (हीमोटोक्सिक वेनम धारी सर्प) के बाइट केस उत्तर प्रदेश में ज्यादा नही दिखाई दे रहे है। वहीं हमारे आपके घरों में अक्सर ही घुसने वाले सामान्य सर्पो की प्रजातियों में घोड़ा पछाड़ (धामन) अजगर दोमुही (कुछलेड) ,भेड़िया साँप (लाइकोडोंन), चेकर्ड कीलबैक,(पनिया सांप) कॉमन कुकरी या ग्रीन ट्री स्नेक (पेड़ का साँप) इत्यादि जहरीले सर्प नही है न ही इनसे हमे कोई नुकसान होता है इन्हें कभी मारना भी नही चाहिए क्यों कि प्रकृति में व हमारे आपके घरों में मौजूद अनगिनत चूहों कॉकरोच, मेंढकों की संख्या केवल ये सर्प ही प्राकृतिक रूप से नियंत्रित कर सकते है। भारत एक आंकड़े के अनुसार लगभग 97 प्रतिशत तक लोगो की सर्प दंश से मौतें ग्रामीण क्षेत्रों में ही होती है वही भारत में पाई जाने वाली चारों बेहद ही खतरनाक बिग फोर प्रजाति के सर्पो में से किसी भी इंसान को काट लेने से मात्र 20 से 30 मिनट में मृत्यु भी हो जाती है ।
अतः कभी भी किसी को भी कोई कोबरा ,करैत सर्प की बाइट (दंश) हो भी जाये तो कृपया बिल्कुल भी घबरायें नही। बिना कोई समय गंवाये ही एक कपड़े से हल्का बन्ध लगा दें और अस्पताल ले जायें। उसे यह पूरा भरोसा भी दिलायें की वह जल्द ही ठीक हो जायेगा । अक्सर ही यह देखा गया है कि,सर्प दंश के बाद रोगी की घबराहट ज्यादा बढ़ने से रोगी की मृत्यु भी हो जाती है । ध्यान रहे किसी भी झाड़ फूंक करने या ढाक बजाने वाले वाले तांत्रिक या बीन बजाने वाले सपेरे के पास बिल्कुल भी न जायें न ही उसे किसी इलाज के लिये बुलाये। कार्यक्रम में संस्था ओशन के डिस्ट्रिक्ट कोर्डिनेटर डॉ पीयूष दीक्षित ने सर्पदंश व सर्पो से जुड़े अंधविश्वासों पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर डीपीएस की प्रिंसिपल श्रीमती भावना सिंह ने कहा कि,अंतरराष्ट्रीय सर्पदंश जागरूकता दिवस पर आयोजित आज का कार्यक्रम बेहद ही रोचक व ज्ञानवर्धक रहा । हमारे शिक्षकों ने सर्पदंश से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ सीखी व कार्यक्रम में सर्पदंश से जुड़ी कई सामाजिक भ्रांतियां भी दूर हुई। उन्होंने संस्था ओशन के महासचिव सर्पमित्र डॉ आशीष त्रिपाठी व उनकी टीम को बेहद सुन्दर व ज्ञानवर्धक जानकारी देने के लिये धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि,इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रमो से समाज मे बड़ा बदलाव आता है । इस माध्यम से लोगो को सर्पदंश के सही इलाज की जानकारी देने से समाज मे कई अनमोल जान भी बचाई जा सकती है। जागरूकता कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शैक्षणिक स्टाफ सहित अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।
जिला क्राइम ब्यूरो चीफ विनीत कुमार की रिपोर्ट