*फफूंद,औरैया।* कस्बे में स्थित सुमन वाटिका गेस्ट हाउस में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन कथावाचक श्री गोपेश्वर जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला व पूतना वध का वर्णन किया। .कथावाचक ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण बाल्यकाल में अनेक लीलाएं की है। भगवान कृष्ण की एक-एक लीला मनुष्यों के लिए परम मंगलमयी व अमृत स्वरूप है। भगवान श्रीकृष्ण जब मात्र छह दिन के ही थे,तब चतुर्दशी के दिन राक्षसी पूतना का वध किया था। जब भगवान तीन माह के हुए तो करवट उत्सव मनाया गया। भगवान ने संकट भंजन करके अनेक राक्षसों का उद्धार किया। इसी तरह बाल लीलाएं, माखन चोरी लीला, ऊखल बंधन लीला, मलार्जुन का उद्धार आदि दिव्य लीलाएं की। श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला दिव्य है। व हर लीला का महत्व आध्यात्मिक है। श्रीकृष्ण के जन्म के अवसर पर गोकुल में धूमधाम से उत्सव मनाया गया। कुछ दिनों के पश्चात कंश ढूंढ-ढूंढ कर नवजात शिशुओं का वध करवाने लगा। उसने पूतना नाम की एक क्रूर राक्षसी को गोकुल में भेजा। पूतना ने राक्षसी भेष बदलकर कर एक सुंदर नारी का रूप धारण किया व आकाश मार्ग से गोकुल पहुंच गई। गोकुल पहुंच कर वह सीधे नंदबाबा के महल में गई और शिशु के रूप में सोते हुए श्रीकृष्ण को गोद में उठाकर अपना दूध पिलाने लगी। श्रीकृष्ण सब जान गए थे, वे अपने दोनों हाथों से दूधपान करने लगे। पूतना अपने राक्षसी स्वरूप को प्रकट कर धड़ाम से गिरी व उसके प्राण पखेड़ू उड़ गये।भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत लीला का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर धारण कर इंद्र का घमंड चूर किया था। कथा के साथ-साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किया गया।इस मौके पर आयोजन कर्ता नाथूराम पोरवाल, सुधीर पोरवाल, अशोक पोरवाल ने श्रद्धालुओं से अपील की ज्यादा से ज्यादा परिवार सहित श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करें और पुण्य कमायें।