*अंतिम दिवस-आत्मा का परमात्मा से मिलन कराती है शिवपुराण कथा-मन मुकुंद चौबे*


कथावाचक चौबे जी ने कहा कि भगवान बुरा वक्त दिखाकर अपने और परायों का पहचान करता है। जब सब कुछ सही चलता है व्यक्ति सुखमय जीवन व्यतीत करता है। तभी भगवान उसके सुखमय जीवन में कुछ समय के लिए रोक लगा देता है, बुरा वक्त देता है, बुरा वक्त देकर भगवान बुरे वक्त में कौन अपना है और कौन पराया इसकी पहचान कराता है। सुख के सभी साथी होते हैं लेकिन जब बुरा वक्त आता है तो कौन साथ होता है और कौन साथ छोड़ता है। इसका पता चल जाता है। गैरों में छिपे हुए अपने नजर आते है और अपनों में छुपे हुए गैर नजर आते हैं। बच्चों को सुधारने और उसे अच्छे-बुरे की पहचान कराने के लिए माता पिता द्वारा मारे गए थप्पड़ से कोई फर्क नहीं पड़ता। माता-पिता के थप्पड़ बच्चे को नहीं पकाता, जगत के थपेड़े से व्यक्ति पकता है। जिंदगी में कभी भी हार मत मानना। जिंदगी में अंगुली उठाने वाले बहुत मिलेंगे। कहने वाले कहते रहेंगे, लेकिन दिल में शंकर भगवान को बैठाकर रखना। भगवान शंकर का स्मरण करते रहना, जो आपके इष्ट हैं उनका भी स्मरण करते रहना। कंकड़ कंकड़ में भगवान शंकर है कब निकलकर आ जाएंगे पता ही नहीं चलेगा। इसलिए भगवान पर विश्वास रखो। जो कथा में झोली लेकर आया है तो खाली कैसे जाएगा। लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा… भजन सुन श्रद्धालु नाचने लगे।
आचार्य ने कहा कि शरीर से प्रेम मत करो, मूर्ति कितनी सुंदर है, मूरत से प्रेम नहीं बल्कि उसके अंदर जो परमात्मा छुपा हुआ है शिवतत्व छुपा है उसको पहचानना है। शंकर को पहचानना है, उससे प्रेम करो। शिव मेरे साथ है जो सबसे बड़ी एनर्जी है वह मेरे साथ है। शिव है तो शरीर है। श्वांस निकल गई तो शरीर शव है। इस अवसर पर प्रेम गिरी महाराज, शिव प्रसाद फौजी, पुष्पा देवी, गजराज सिंह, जितेंद्र गुर्जर, जहर सिंह, यज्ञाचार्य देवेंद्र दुबे सहित हजारों की संख्या में महिला पुरुष भक्त मौजूद रहें।