हट चार प्रकार के होते हैं बाल हट राजा हट स्त्री हट सन्त हट इससे बचके रहना चाहिए –प्रदीप जी महाराज

फफूंद ।औरैया
नगर के कोठीपुर मार्ग पर पक्के तालाब पर स्थित शिव मंदिर में चल रही श्री शिव महापुराण कथा के समापन अवसर पर कथा वाचक आचार्य प्रदीप मिश्रा जी महाराज ने कहा कि आत्मा का परमात्मा से मिलन ही शिव में लीन हो जाना है। सभी विपरीत विचारधारा के बीच सामंजस्य रखना ही शिव पुराण सिखाता है।माता सती का प्रशंग सुनाते समय पंडाल भक्तों से खचाखच भरा रहा।श्रीमद्व भागवत कथा महापुराण की कथा में आचार्य प्रदीप मिश्रा जी महाराज ने कहा कि हट चार प्रकार के होते है बाल हट, राजा हट, स्त्री हट औऱ सन्त हट इनसे जीव को सदैव बचना चाहिए । उन्होंने स्त्री हट की चर्चा करते हुए कहा कि पति की वगैर अनुमति के स्‍त्री को कही नही जाना चाहिये, यदि वह हट के चलते जाती है तो उसको सम्‍मान नही मिलेगा। आचार्य ने सती चरित्र के प्रसंग की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा दक्ष की पुत्री सती का बिवाह शंकर भगवान से राजा दक्ष के न चाहते हुये भी हो गया, जिससे राजा दक्ष सती से नाराज रहते थे। एक वार राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया तो उन्‍होने अपने नाते रिश्‍तेदारो को बुलाया किन्‍तु सती के यहा बुलावा नही भेजा। इसके बाद भी सती का मन जाने के लिये हुआ तो उन्‍होने अपने जाने की लालसा भगवान शंकर से प्रकट की किन्‍तु भगवान शंकर ने बगैर निमन्त्रण के न जाने का प्रस्ताव रखा ।किन्तु माता सती बगैर बुलावा के राजा दक्ष के यह चली गयी। जहाँ उनका उपहास उड़ाया गया। सती से अपने पति का अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ तो सती क्रोधित होकर यज्ञ कुंड में अपने आप को भस्म कर लिया। आचार्य ने पंडाल में उपस्थित मातृशक्ति अपील करते हुए कहा कि बगैर पति की अनुमति के घर की चौखट नही लाघिनी चाहिए अन्यथा बेइज्जती का सामना करना पड़ता है।आचार्य ने अभिमन्यु की कथा सुनाते हुए कहा कि जिस प्रकार से अभिमन्यु ने गर्भावस्था के दौरान ही चक्रव्यूह के भेदन की कला सीख ली थी। इसलिए माताएं गर्भावस्था के दौरान धर्मिक पुस्तके पढ़े, बड़ो से आदर से बात करे और हमेशा प्रसन्न चित व संस्कारवान रहे।ताकि भावी पीढ़ी स्वस्थ औऱ बलशाली, संस्कार वान हो।

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