*आरोप : घूष नहीं दी तो एआरटीओ ने ट्रैक्टर का किया 3 लाख का चालान*

*नहीं टूट रहा एआरटीओ के विवाद में रहने का सिलसिला*
*बेला,औरैया।* जिले में एआरटीओ का कार्यभार संभालने के बाद से ही लगातार विवादों में रहने वाले सुदेश कुमार तिवारी को शुक्रवार की देर शाम उस समय भाजपा नेताओं का विरोध झेलना पड़ा। जब उन्होंने एक ट्रैक्टर का 3 लाख से भी ज्यादा का चालान काट दिया। ट्रैक्टर मालिक की सूचना पर कुछ भाजपा नेता एवं जनप्रतिनिधि मौके पर पहुंचे और मामले को लेकर विरोध प्रकट किया। जिस पर पुलिस ने पहुंचकर मामला शांत कराया। इसी बीच बड़ी संख्या में भाजपा नेता व जन प्रतिनिधि बेला थाने पहुंच गए और जमीन पर बैठकर धरना प्रदर्शन करते हुए एआरटीओ पर कार्यवाही की मांग करने लगे। इस मामले में जहां एआरटीओ सुदेश कुमार तिवारी का कहना है कि ट्रैक्टर के कागज पूरे नहीं थे। साथ ही और भी कई अनियमितताएं थीं जिसके कारण चालान काटा। जबकि ट्रैक्टर मालिक और भाजपा नेताओं का आरोप है कि एआरटीओ ने सुविधा शुल्क के नाम पर 5 हजार रुपए मांगे थे। न मिलने पर उन्होंने इतना बड़ा चढ़ा कर चालान कर दिया।
यह पूरा मामला बेला थाने क्षेत्र का है। मामले को लेकर भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के जिला महामंत्री शीलू कुशवाहा ने बताया कि ग्राम भवानी पूर्व के निवासी लव कुश पुत्र उदल कुशवाहा शुक्रवार को बिधूना के एक भट्ठा से भवन निर्माण के लिए इंटें लादकर ला रहे थे, जिसे आरटीओ सुदेश कुमार तिवारी ने पकड़ लिया। उनके साथ लगे सुरक्षा कर्मियों ने पहले ट्रैक्टर चालक से 5 हजार घूस मांगे। जब चालक ने यह रकम देने में असमर्थता जताई तो एआरटीओ सुदेश तिवारी ने नाराज होकर कुछ दूर आगे बेला चौराहे पर दोबारा ट्रैक्टर को रोका और ट्रैक्टर का 3 लाख 28 हजार का चालान काट दिया। भाजपा युवा मोर्चा जिला महामंत्री शीलू कुशवाहा ने बताया कि सुविधा शुल्क न देने पर ट्रैक्टर का इतना बड़ा चालान काटा गया है। उन्होंने विरोध जताते हुए अपने साथियों सहित थाने जाकर विरोध जताया और ट्रैक्टर चालक से मामले की तहरीर दिलाई। इधर मामले की जानकारी होते ही थाने पर भाजपा नेताओं का जमाबड़ा लग गया, थाने मे एआरटीओ के खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरू हो गया। मौक़े पर ब्लॉक प्रमुख आदर्श ठाकुर, ऋषि पांडे, विमल दुबे समेत तमाम भाजपा नेता मौजूद थे जिनका कहना है कि यह सरासर नाइंसाफी है। समाचार लिखे जाने तक थाने पर भाजपा नेताओं का जमावड़ा लगा था और सभी एक स्वर से आरटीओ के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। बताया जाता है कि स्थानीय भाजपा नेताओं ने इस मामले की वरिष्ठ नेताओं को जानकारी दी है। इसके बाद सत्ता दल के कुछ बड़े नेताओं के भी मौके पर पहुंचने की संभावना के साथ-साथ यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि अगर सत्ताधारी दल के बड़े नेताओं ने इस मामले में हस्तक्षेप किया तो अक्सर विवादों में रहने वाले एआरटीओ को ट्रैक्टर का चालान काटना तो महंगा पड़ ही सकता है बल्कि घूस के आरोप में जांच की तलवार भी उन पर लटक सकती है।