November 19, 2024

*भाकियू अराजनैतिक किसानों की मांगों को लेकर 28 नवंबर को करेगी धरना प्रदर्शन*

*जिला मुख्यालय पर सीएम के लिए जिला प्रशासन को सौंपा जाएगा ज्ञापन*

*बिधूना,औरैया।* भाकियू अराजनैतिक के जिलाध्यक्ष राघवेंद्र सिंह यादव ने कहा है कि किसान खाद बीज की किल्लत के साथ ही गन्ना मूल्य की वृद्धि न किए जाने जैसी तमाम समस्याओं से परेशान है। कृषि उत्पादन में लागत बढ़ने से उपज में मुनाफे की कौन कहे लागत मूल्य भी निकलना मुश्किल हो रहा है जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन कमजोर हो रही है और इसके बावजूद सरकार चुप्पी साधे हुए हैं। भाकियू अराजनैतिक के जिलाध्यक्ष श्री यादव ने कहा है कि गन्ना पेराई सत्र 2024-25 के लिए गन्ना मूल्य का निर्धारण अब तक नहीं किया गया है। 450 रुपए प्रति कुंतल गन्ना मूल्य घोषित किए जाने की किसान लगातार मांग कर रहे हैं, जबकि गन्ना उद्योग के लिए गैस वाली इंदौर है। गन्ने से बनने वाले उत्पादों से शुगर मिलों की आय का आकलन करना भी मुश्किल है। .गन्ने का भाव वर्तमान में चीनी मूल्य के आधार पर नहीं बल्कि से उत्पादों के आधार पर किया जाना चाहिए। आज गन्ने से एथनॉल चीनी शराब बिजली गैस आदि का भी उत्पादन हो रहा है, और उत्तर प्रदेश भारत में सबसे अधिक गन्ना उत्पादन में रिकवरी देने वाला प्रदेश है, लेकिन इसके बावजूद भी गन्ना किसान अपना हक पाने से वंचित हैं। जिलाध्यक्ष श्री यादव ने कहा कि खेती की लागत हर वर्ष महंगाई सूचकांक से भी अधिक बढ़ रही है उत्पादन लागत अधिक होने के कारण वर्तमान मूल्य से किसानों का घाटा हो रहा है उर्वरक कीटनाशक खरपतवार नाशी कृषि की मजदूरी में भी लगभग 25 प्रतिशत की वृद्धि होने के कारण किसान परेशान है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त मांगों के साथ किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर भारतीय किसान यूनियन और अराजनैतिक प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन के माध्यम से 28 नवंबर 2024 को प्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए जिला प्रशासन के माध्यम से ज्ञापन सौपगी। उन्होंने जिले के भाकियू अराजनैतिक के सभी पदाधिकारियों व सदस्यों से आवश्यक रूप से उक्त कार्यक्रम में 28 नवंबर को जिला मुख्यालय ककोर पहुंचने की भी अपील की है। इस मौके पर भाकियू अराजनैतिक के जिला प्रवक्ता डॉ धीरेंद्र सिंह तहसील अध्यक्ष दयाकृष्ण नीटू यादव तहसील संगठन मंत्री अनिल कुमार सिंह सेंगर शंकुर यादव एडवोकेट अछल्दा ब्लाक उपाध्यक्ष करन सिंह शाक्य आदि किसान नेता प्रमुख रूप से मौजूद थे।

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