जिले में सावन के पहले सोमवार को हर-हर महादेव से गूंजे शिवालय*
*प्रशासन व पुलिस की रही चप्पे-चप्पे पर नजर, श्रद्धालुओं ने शिवालयों पर की पूजा अर्चना*
*औरैया।* जिले में सावन के पहले सोमवार शिवालयों श्रद्धालु भक्तगणों का जनसैलाब उमड़ा, श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर अवधारणा की स्तुति करते हुए आराधना की। इसके साथ ही औरैया के बीहड़ में यमुना नदी किनारे स्थित प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर देवकली में पूरे प्रदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ की आराधना करने को पहुंचते हैं। श्रद्धालुओ का मानना है कि यहां जो भी श्रद्धा और मन के साथ मन्नत मांगता है, भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। जनपद औरैया सहित ग्रामीण इलाकों में सावन में सभी शिव देवालयों में पूजा-अर्चना शुरू हो चुकी है, लेकिन यमुना नदी के किनारे बीहड़ घाटी में स्थित महाकालेश्वर यानि कि देवकली मंदिर का कुछ अलग ही नजारा है, यह मंदिर औरैया और इसके आस-पास के जनपदों में इसलिए चर्चा का विषय रहा है कि इस मंदिर पर पहले कई नामी-इनामी डाकू घंटा चढ़ाकर बाबा भोले नाथ से अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए पूजा अर्चना कर मन्नत मांग चुके हैं। दस्यु के समय में कोई भी आम नागरिक वहां जाने की सोच भी नहीं सकता था, उस समय इस मंदिर और बीहड़ में सिर्फ और सिर्फ गोलियों की तड़तड़ाहट की गूंज सुनाई देती थी और पुलिस के बूटो की आवाज सुनाई पड़ती थी हालांकि जनपद की पुलिस ने सभी खूंखार डाकुओं का सफाया कर दिया और कुछ ने पुलिस के सामने आत्म समर्पण कर दिया। डाकुओं का सफाया होने से श्रद्धालु देर रात तक भी भगवान भोलेनाथ के दर्शन करते हैं। लेकिन आज सावन के पहले सोमवार को जनपद में सिर्फ हर-हर महादेव और बम-बम भोले के जयकारे गूंज रहे हैं। मंदिर का प्राचीनतम इतिहास भी इसे विशेष बनाता है। लोगों का मानना है कि प्रतिवर्ष इस शिवलिंग का अपने आप एक जौ के दाने के बराबर बढ़ना भी इसकी एक खूबी है। जिले के विभिन्न कस्वों से भी शिव भक्तों द्वारा शिवालियों पर पूजा- अर्चना करने की समाचार प्राप्त हुए हैं।
*एक जमाने में गूंजती थी गोलियों की तड़तड़ाहट*
औरैया जनपद जोकि बीहड़ांचल के नाम से भी जाना जाता है। यह जनपद बीहड़ घाटी के साथ ही कुछ दशक पूर्व यहां के दस्युओ की वजह से भी जाना जाता था। यहां पर यमुना नदी के किनारे बाबा महाकालेश्वर यानि की देवकली मंदिर स्थित है, जो यहां का सबसे प्राचीन मंदिर है। एक समय ऐसा भी था जब इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन को आम लोग तरसते थे, क्योकि यहां सिर्फ और सिर्फ दस्युओ का ही बोलबाला था, मंदिर में जयकारों की जगह सिर्फ चारों तरफ गोलियों कि तड़तड़ाहट की गूंज ही सुनाई देती थी। लेकिन समय बदलने के साथ ही दस्युओ के खत्म हो जाने पर अब इस मंदिर की छटा देखते ही बनती है।
*कन्नौज के राजा जयचंद ने कराया था मंदिर का निर्माण*
बताया जाता है कि कन्नौज के राजा जयचंद ने अपनी बहन देवकला के नाम से इस मंदिर का निर्माण कराया था। यह विश्व का एक मात्र शिव मंदिर जो किसी स्त्री के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर के शिवलिंग की लम्बाई लगभग 3 या साढ़े 3 फुट की होगी और चौड़ाई तो आज तक कोई भी नाप नहीं सका है। सावन में आसपास के जनपदों जैसे जालौन, कानपुर देहात, कानपुर नगर, इटावा, आगरा, कन्नौज, फिरोजाबाद तक से श्रद्धालुओ की भीड़ दर्शन के लिए आती है। मंदिर के महंत ने बताया कि देवकली मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से सावन में बेलपत्र और जल शिवलिंग पर चढ़ाते हैं, बाबा भोलेनाथ उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। वहीं मंदिर में सावन में प्रदेश भर से लाखों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच कर आशीर्वाद लेते है।
*पुलिस की रही चप्पे चप्पे पर नजर*
सावन में देवकली मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. औरैया एसपी चारू निगम के निर्देशन में जनपद के कई थानों की पुलिस सुरक्षा के लिए मंदिर में तैनात रहकर चप्पे चप्पे पर नजर रही है। वहीं कुछ पुलिस कर्मियों की ड्यूटी सादी वर्दी में लगाई गई है। आपको बता दें कि जनपद के विभिन्न कस्वों एवं ग्रामीण अंचलों से भी शिव उपासना के समाचार प्राप्त हुए हैं।