*जीने और मरने की कला सिखाती है भागवत*
*अजीतमल,औरैया।* प्रभु ने अवतार लेकर अपनी लीलाओं से जीव को जीवन का दर्शन कराया है। श्रीमद् भागवत कथा के प्रसंग हमें जीने और मरने की कला सिखाते है।
बाबरपुर कस्बे के मुहल्ला लक्ष्मीनगर स्थित श्री शाला हनुमान मन्दिर पर आयोजित भागवत कथा मे आचार्य श्याम जी ने उक्त विचार व्यक्त करते हुए श्री कृष्ण जन्म कथा से श्रद्धालुओं को भाव विभोर किया। बताया कि अत्याचारों से त्रस्त धरती, संत, ऋषि मुनियों की पुकार पर भगवान् अवतरित होते है। कंस के अत्याचारों से अवतरित होकर धर्म की रक्षा कर प्रभु ने विभिन्न लीलाओं से जीवन को जीने और मरने की कलाओं को सिखाया। बताया कि बालरूप कृष्ण की लीलाओं से सीख मिलती है कि बालकपन से ही बच्चो को संस्कारित करने की जरूरत है। भागवत कथा मे कृष्ण जन्म की झांकी ने भी लोगो का मन मोह लिया। परीक्षित महन्त हरदेव दास सहित सभी व्यवस्थापक गण उमड़ रही भीड़ को व्यवस्थित करने मे जुटे हैं।