औरैया जिले मे सरकारी भूमि कब्जाने मे यूएम पावर सबसे आगे*
*सदर तहसील के गांव जमौली की 35 एकड गौचरा भूमि करा ली अपने नाम कंचौसी की सार्वजनिक जमीन को घेरा*
*वर्षो से गौशाला निर्माण अधर मे लटका*
*कंचौसी,औरैया।* जिले मे सरकारी भूमि घोटाले का पर्दा धीरे धीरे उठ रहा है उसमे सदर तहसील के ब्लाक भाग्यनगर के अधिकांश गांव सामने आये है। जिनका उजागर समाचार पत्रो मे हो रहा है। जांच मे इनकी संख्या और बढ़ सकती है। लेकिन इन अवैध आबंटन कराने वाले लोगो से हट कर वह बडी परियोजनाये भी शामिल है। जो दशको बाद भी धरातल पर कोई प्रस्तावित काम शुरू नही कर सकी है। उसमे निजी क्षेत्र की यूएम पावर परियोजना है, जिसने पिछले वर्षों मे सरकारी जमीन अपने नाम कराके देश के बिभिन्न सरकारी बैको से करोडो रूपये लौन लेकर दूसरी जगह कारोबार फैला रकम कई गुना की है। .जिस बैक मे यह भूमि बंधक है उसका उल्लेख तहसील के अभिलेखो मे दर्ज है। उसी मे जिले की निजी क्षेत्र का लंबित पडा यूएम पावर प्लांट है जो सन 2011-12 मे 250 मेगावाट कोल आधारित बिजली घर बनाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेकर सदर और बिधूना तहसील के 7 गांव सेहुद जमौली कंचौसी गांव ढिकियापुर नौगांवा सूखमपुर हरतौली की 750 एकड भूमि किसानो के साथ साथ सरकार की खाली पडी भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव था लेकिन किसानो की नाराजगी के चलते बाद मे इसे कम करके 350 एकड करना पडा। जिसमे सौ एकड भूमि सरकारी है। उसमे जमौली का सबसे बडा एरिया चरागाह है, इसके बाद मे कंचौसी गांव सेहुद व बरसाती नाला ब्रह्मदेव करोधा पीडब्लूडी मार्ग शामिल है। जिसके बडे हिस्से को परियोजना पत्थर की चारदीवारी वर्षो पहले बना कर कब्जा किये हुए है। लेकिन चरागाह के बदले आज तक कोई अपनी खरीदी हुई भूमि वापस जमौली पंचायत को नही दी है। जिसके लिए पूर्व एडीएम रेखा एस चौहान ने परियोजना स्थल पर किसानो के बीच बैठक कर परियोजना निदेशक आर बी सिंह को बुलाया था जो मौके पर न आकर पावर का फील्ड काम देख रहे अस्थाई कर्मचारी फूल सिह व गंगासिह को भेज कर औपचारिकता पूरी की थी। तभी एडीएम ने कडे शब्दो मे शासन को शीघ्र पत्र भेजकर चरागाह के बदले भूमि या जमीन की सरकारी कीमत खजाने मे जमा कराने का आदेश अपने साथ आये विभागीय अधिकारियो को दिया था। लेकिन वर्षो बीत जाने के बाद भी आज तक न चरागाह की भूमि गांव मे वापस हुई है और न कोई आसपास गौशाला का निर्माण हुआ है जिससे सैकडो अन्ना मबेशी किसानो के लिए मुसीबत बने हुए है। इस पर शासन के वरिष्ट अधिकारियो को घ्यान देकर यूएम पावर परियोजना मे अधिग्रहण निजी और सरकारी भूमि की उच्च स्तरीय जांच कराकर उसको उजागर करने की आवश्कता है। जिससे प्लांट चालू न होने के बाद भी परियोजना प्रबंध तंत्र जमीन से मोटा लाभ उठा रहा है।और जिले के औधोगिक विकास का सपना अधूरा है।