प्रह्लाद का चरित्र युवाओं के लिए प्रेरणादायक शिया किशोरी*
*अजीतमल,औरैया।* तहसील क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम रजपुरा स्थित लोढ़ी माता मंदिर पर चल रही भागवत कथा में कथावाचक सिया किशोरी जी ने श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन प्रहलाद चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि भक्त प्रहलाद का चरित्र युवाओं के लिए हमेशा से प्रेरणादायक है। पुत्र आस्थावान, गुणवान और ज्ञानवान हो तो माता-पिता के साथ गुरु भी गौरवान्वित और प्रफुल्लित महसूस करता है।
कथावाचक सिया किशोरी ने कहा कि भागवत कथा में प्रहलाद चरित्र पुत्र एवं पिता के संबंध को प्रदर्शित करता है और बताता है कि यदि भक्त सच्चा हो तो विपरीत परिस्थितियां भी उसे भगवान की भक्ति से विमुख नहीं कर सकता। भयानक राक्षस प्रवृत्ति के हिरण्यकश्यप जैसे पिता को प्राप्त करने के बावजूद भी प्रहलाद ने अपनी ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी और सच्चे अर्थों में कहा जाए तो प्रहलाद द्वारा अपने पुत्र होने का दायित्व भी निभाया गया। वर्तमान समय में युवा इस रास्ते से भटक रहे हैं। जिन्हें भक्त प्रहदलाल के चरित्र का अनुशरण करना चाहिए। आचार्य ने कहा कि पुत्र का यह सर्वोपरि दायित्व है कि यदि उसका पिता कुमार्गगामी और दुष्ट प्रवृत्ति का हो तो उसे भी सुमार्ग पर लाने के लिए सदैव प्रयास करने चाहिए। प्रहलाद ने बिना भय के हिरण्यकश्यप के यहां रहते हुए ईश्वर की सत्ता को स्वीकार किया और पिता को भी उसकी ओर आने के लिए प्रेरित किया। किंतु राक्षस प्रवृत्ति के होने के चलते हिरण्यकश्यप प्रहलाद की बात को कभी नहीं माना। ऐसे में भगवान नरसिंह द्वारा उसका संघार हुआ।उसके बाद भी प्रहलाद ने अपने पुत्र धर्म का निर्वहन किया और अपने पिता की सद्गति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।इस दौरान परीक्षित कृष्णा देवी व देवेन्द्र सिंह गुर्जर सहित भक्तगणों ने कथा का आनंद लिया।